Posts

Showing posts with the label यथार्थ भक्ति बोध Part1

यथार्थ भक्ति बोध Part1

Image
#यथार्थ_भक्ति_बोध_Part1 भूमिका:- "परमात्मा से सब होत है, बन्दे से कुछ नाहीं। राई से पर्वत करें, पर्वत से फिर राई।। रामनाम की लूट है, लूटि जा तो लूट। पीछे फिर पछताएगा, प्राण जाहिंगे छूट।। भक्ति बिना क्या होत है, भ्रम रहा संसार। रति कंचन पाया नहीं, रावण चलती बार।। कबीर, सब जग निर्धना, धनवन्ता ना कोए। धनवन्ता सोई जानिए, जा पै राम नाम धन होय।।"  ‘‘भक्ति बोध’’ नामक पुस्तिका के अन्दर परमेश्वर कबीर जी की अमृतवाणी तथा परमेश्वर कबीर जी से ही प्राप्त तत्वज्ञान सन्त गरीबदास जी की अमृतवाणी है। जिस वाणी का पाठ प्रतिदिन नियमित करना होता है। जिस कारण से इसको ‘‘नित्य-नियम’’ पुस्तिका भी कहा जाता है। इस पुस्तक में लिखी अमृत वाणी का पाठ उपदेशी को तीन समय करना पड़ता है।  सुबह पढ़ी जाने वाली अमृतवाणी को (1) ‘सुबह का नित्य नियम‘ कहते हैं। यह रात्रि के 12 बजे से दिन के 12 बजे तक कर सकते हैं। वैसे इसको सुबह सूर्योदय के समय कर लें।  (2) ‘असुर निकंदन रमैणी‘ दिन के 12 बजे के बाद रात्रि के 12 बजे से पहले (जब भी समय लगे) किया जाने वाला पाठ है। वैसे इस पाठ को दिन के 12 बज...