यथार्थ भक्ति बोध Part3

#यथार्थ_भक्ति_बोध_Part2 के आगे पढ़ें 📖📖📖 #यथार्थ_भक्ति_बोध_Part3 📚प्रश्न उठता है कि वे ऋषि जन तो वेदों के पूर्व विद्वान थे। उन्होंने यह गलती क्यों की? उत्तर है:- श्री देवीपुराण (गीता प्रेस गोरखपुर से प्रकाशित केवल हिन्दी, सचित्र मोटा टाईप) में चौथे स्कंद पृष्ठ 414 पर लिखा है कि ‘‘सत्य युग’ के ब्राह्मण वेद के पूर्ण विद्वान थे और देवी आराधना किया करते थे। प्रिय पाठको! यह उल्लेख देवी पुराण का है। आप जी को बता दें कि ‘‘गीता शास्त्र चारों वेदों का सारांश है। आप जी गीता को तो आसानी से पढ़ तथा जाँच सकते हो। गीता में कहीं पर भी श्री देवी की पूजा करने का आदेश नहीं है। इससे सिद्ध हुआ कि चारों वेदों में भी श्री देवी (दुर्गा जी) की पूजा का विधान नहीं है। इससे यह भी सिद्ध हुआ कि सत्ययुग के ब्राह्मण (ऋषि) वेद के विद्वान नहीं थे। फिर त्रेतायुग, द्वापर युग तथा कलयुग के ऋषियों ब्राह्मणों का क्या कहना इनका ज्ञान तो सत्ययुग के ब्राह्मणों से न्यून ही है। इसी प्रकरण में पृष्ठ 414 पर श्री देवी पुराण में यह भी स्पष्ट किया है कि ‘‘सत्य युग में जो राक्षस माने जाते थे, कलयुग में ब्राह्म...