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Showing posts from April, 2020

पूर्ण परमात्मा कबीर साहेब है।

कविर्देव अपने ज्ञान का दूत बनकर स्वयं ही आता है तथा अपना स्वस्थ ज्ञान(वास्तविक तत्वज्ञान) स्वयं ही कराता है।स्वयं कविर्देव (कबीर परमेश्वर) जी ने अपनी अमृतवाणी में कहा है -शब्द :- अविगत से चल आए, कोई मेरा भेद मर्म नहीं पाया। (टेक) न मेरा जन्म न गर्भबसेरा, बालक हो दिखलाया। काशी नगर जल कमल पर डेरा, वहाँ जुलाहे ने पाया।।मात-पिता मेरे कुछ नाहीं, ना मेरे घर दासी (पत्नी)। जुलहा का सुत आन कहाया, जगत करेंमेरी हाँसी।। पाँच तत्व का धड़ नहीं मेरा, जानुं ज्ञान अपारा। सत्य स्वरूपी (वास्तविक) नामसाहेब (पूर्ण प्रभु) का सोई नाम हमारा।। अधर द्वीप (ऊपर सत्यलोक में) गगन गुफा में तहां निजवस्तु सारा। ज्योत स्वरूपी अलख निरंजन (ब्रह्म) भी धरता ध्यान हमारा।। हाड़ चाम लहु नामेरे कोई जाने सत्यनाम उपासी। तारन तरन अभय पद दाता, मैं हूँ कबीर अविनाशी।।उपरोक्त शब्द में कबीर परमेश्वर कह रहे हैं कि न तो मेरी कोई पत्नी है, नही मेरा पाँच तत्व (हाड-चाम, लहू अर्थात् नाडि़यों के जोड़-जुगाड़ वाली काया) काशरीर है, मैं स्वयंभू हूँ तथा काशी के लहरतारा नामक तालाब के जल में कमलके फूल पर स्वयं प्रकट होकर बालक रूप बनाया था। वहाँ से

कबीर खुदा है “पवित्र कुरान शरीफ में प्रमाण”

 इसी प्रकार पवित्र कुरान शरीफ के अध्याय सूरत फुर्कानी सं. 25, आयत 52एसे 59 में कहा है कि वास्तव में (इबादइ कबीरा) पूजा के योग्य कबीर अल्लाह है।यह कबीर वही पूर्ण परमात्मा है जिसने छः दिन में सृष्टी रची तथा सातवें दिनतख्त पर जा विराजा, उसकी खबर किसी बाखबर से पूछ देखों। पवित्रा कुरान शरीफ को बोलने वाला अल्लाह स्वयं किसी और कबीर नामकप्रभु की तरफ संकेत कर रहा है तथा कह रहा है कि पूर्ण परमात्मा कबीर के विषयमें मैं भी नहीं जानता, उसके विषय में किसी तत्वदर्शी संत (बाखबर) से पूछो। कविर्देव ने यही कहा था कि मैं स्वयं पूर्ण परमात्मा (अल्लाह कबीर/अकबिरु)हूँ। अपने स्वस्थ ज्ञान का संदेशवाहक रूप में मैं स्वयं ही आया हूँ, मुझे पहचानों।परन्तु ऐसे ही आचार्यों ने पहले भी परमेश्वर के वास्तविक ज्ञान को जनता तक नहींजाने दिया। कहा करते थे कि कबीर तो अशिक्षित है, यह संस्कृत तो जानता हीनहीं, हम शिक्षित हैं। इस बात पर पहले तो भक्तजन गुमराह हो गए थे, परन्तु अबसर्व समाज शिक्षित है, इन मार्ग भ्रष्ट आचार्यों की दाल नहीं गल रही, न ही गलेगी।सल्लि अला :- ज-स-दि मुहम्मदिन फिल् अज्सादि अल्लाहुम म सल्लि अला कबिर्(कबीर)

‘‘पवित्र श्रीमद्भगवत गीता जी में सृष्टी रचना का प्रमाण‘

‘‘इसी का प्रमाण पवित्र गीता जी अध्याय 14 श्लोक 3 से 5 तक है। ब्रह्म (काल)कह रहा है कि प्रकृति (दुर्गा) तो मेरी पत्नी है, मैं ब्रह्म (काल) इसका पति हूँ। हम दोनों के संयोग से सर्व प्राणियों सहित तीनों गुणों (रजगुण - ब्रह्मा जी, सतगुण - विष्णुजी, तमगुण - शिवजी) की उत्पत्ति हुई है। मैं (ब्रह्म) सर्व प्राणियों का पिता हूँ तथा प्रकृति (दुर्गा) इनकी माता है। मैं इसके उदर में बीज स्थापना करता हूँ जिससे सर्व प्राणियों की उत्पत्ति होती है। प्रकृति (दुर्गा) से उत्पन्न तीनों गुण (रजगुण ब्रह्मा,सतगुण विष्णु तथा तमगुण शिव) जीव को कर्म आधार से शरीर में बांधते हैं।यही प्रमाण अध्याय 15 श्लोक 1 से 4 तथा 16, 17 में भी है। गीता अध्याय नं. 15 का श्लोक नं. 1 ऊर्ध्वमूलम्, अधःशाखम्, अश्वत्थम्, प्राहुः, अव्ययम्,छन्दांसि, यस्य, पर्णानि, यः, तम्, वेद, सः, वेदवित्।। अनुवाद : (ऊर्ध्वमूलम्) ऊपर को पूर्ण परमात्मा आदि पुरुष परमेश्वर रूपी जड़ वाला(अधःशाखम्) नीचे को तीनों गुण अर्थात् रजगुण ब्रह्मा, सतगुण विष्णु व तमगुण शिव रूपीशाखा वाला (अव्ययम्) अविनाशी (अश्वत्थम्) विस्तारित पीपल का वृक्ष है, (यस्य) जिसके(छन्दा

"पवित्र बाईबल तथा पवित्र कुरान शरीफ में सृष्टी रचना का प्रमाण"

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सृष्टि का प्रमाण पवित्र बाईबल में तथा पवित्र कुरान शरीफ में भी है।कुरान शरीफ में पवित्र बाईबल का भी ज्ञान है, इसलिए इन दोनों पवित्र सद्ग्रन्थों ने मिल-जुल कर प्रमाणित किया है कि कौन तथा कैसा है सृष्टी रचनहार तथा उसका वास्तविक नाम क्या है।पवित्र बाईबल (उत्पत्ति ग्रन्थ पृष्ठ नं. 2 पर, अ. 1ः20 - 2ः5 पर)छटवां दिन :- प्राणी और मनुष्य :अन्य प्राणियों की रचना करके 26. फिर परमेश्वर ने कहा, हम मनुष्य को अपने स्वरूपके अनुसार अपनी समानता में बनाएं, जो सर्व प्राणियों को काबू रखेगा। 27. तब परमेश्वर ने मनुष्य को अपने स्वरूप के अनुसार उत्पन्न किया, अपने ही स्वरूप के अनुसार परमेश्वर ने उसको उत्पन्न किया, नर और नारी करके मनुष्यों की सृष्टी की।29. प्रभु ने मनुष्यों के खाने के लिए जितने बीज वाले छोटे पेड़ तथा जितने पेड़ों में बीजवाले फल होते हैं वे भोजन के लिए प्रदान किए हैं, (माँस खाना नहीं कहा है।)सातवां दिन :- विश्राम का दिन :परमेश्वर ने छः दिन में सर्व सृष्टी की उत्पत्ति की तथा सातवें दिन विश्राम किया।पवित्रा बाईबल ने सिद्ध कर दिया कि परमात्मा मानव सदृश शरीर में है, जिसनेछः दिन में सर्व सृष्टी की

Jesus is son of God Kabir

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For since the creation of the world his invisible attributes, his eternal power, and divine nature, have been clearly seen, being understood through what has been made, so that they are without excuse (Romans 1:20).For what can be known about God is plain to them because God has shown it to them. Ever since the creation of the world his eternal power and divine nature, invisible though they are, have been understood and seen through the things he has made.

Importance Of True Worship 1

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One who performs true Bhakti does not commit any crime. Bhakti is necessary to break tue painful cycle of birth and death. You must watch Sadhna Tv 7:30pm Daily. Or Visit:- www.jagatgururampalji.org