परमात्मा का अपमान
परमात्मा का अपमान
जिसे गायत्री मन्त्र कहते हो, वह यजुर्वेद के अध्याय 36 का मन्त्र 3 है जिसके आगे ‘‘ओम्‘‘ अक्षर नहीं है। यदि ‘‘ओम्’‘ अक्षर को इस वेद मन्त्र के साथ जोड़ा जाता है तो परमात्मा का अपमान है क्योंकि ओम् (ऊँ) अक्षर तो ब्रह्म का जाप है। यजुर्वेद अध्याय 36 मन्त्र 3 में परम अक्षर ब्रह्म की महिमा है। यदि कोई अज्ञानी व्यक्ति पत्र तो लिख रहा है प्रधानमन्त्री को और लिख रहा है सेवा में ‘मुख्यमन्त्री जी’ तो वह प्रधानमन्त्री का अपमान कर रहा है। फिर बात रही इस मन्त्र यजुर्वेद के अध्याय 36 मन्त्र 3 को बार-बार जाप करने की, यह क्रिया मोक्षदायक नहीं है। मन्त्र का मूल पाठ इस प्रकार है :- भूर्भवः स्वः तत् सवितु वरेणीयम् भृगो देवस्य धीमहि धीयो योनः प्रयोदयात्। अनुवाद :- (भूः) स्वयंभू परमात्मा पृथ्वी लोक को (भवः) गोलोक आदि भवनों को वचन से प्रकट करने वाला है (स्वः) स्वर्गलोक आदि सुख धाम हैं। (तत्) वह (सवितुः) उन सर्व का जनक परमात्मा है। (वरेणीयम) सर्व साधकों को वरण करने योग्य अर्थात् अच्छी आत्माओं के भक्ति योग्य है। (भृगो) तेजोमय अर्थात् प्रकाशमान (देवस्य) परमात्मा का (धीमहि) उच्च विचार रखते हुए अर्थात् बड़ी समझ से (धी यो नः प्रचोदयात) जो बुद्धिमानों के समान विवेचन करता है, वह विवेकशील व्यक्ति मोक्ष का अधिकारी बनता है।
भावार्थ : परमात्मा स्वयंभू जो भूमि, गोलोक आदि लोक तथा स्वर्ग लोक है उन सर्व का सृजनहार है। उस उज्ज्वल परमेश्वर की भक्ति श्रेष्ठ भक्तों को यह विचार रखते हुए करनी चाहिए कि जो पुरुषोत्तम (सर्व श्रेष्ठ परमात्मा) है, जो सर्व प्रभुओं से श्रेष्ठ है, उसकी भक्ति करें जो सुखधाम अर्थात् सर्वसुख का दाता है। उपरोक्त मन्त्र का यह हिन्दी अनुवाद व भावार्थ है। इसकी संस्कृत या हिन्दी अनुवाद को पढ़ते रहने से मोक्ष नहीं है क्योंकि यह तो परमात्मा की महिमा का एक अंश है अर्थात् हजारों वेद मन्त्रों में से यजुर्वेद अध्याय 36 का मंत्र सँख्या 3 केवल एक मन्त्र है। यदि कोई चारों वेदों को भी पढ़ता रहे तो भी मोक्ष नहीं। मोक्ष होगा वेदों में वर्णित ज्ञान के अनुसार भक्ति क्रिया करने से।
उदाहरण :- विद्युत की महिमा है कि बिजली अंधेरे को उजाले में बदल देती है, बिजली ट्यूबवेल चलाती है जिससे फसल की सिंचाई होती है। बिजली ऑटा पीसती है, आदि-आदि बहुत से गुण बिजली के लिखे हैं। यदि कोई व्यक्ति प्रतिदिन बिजली के गुणों का पाठ करता रहे तो उसे बिजली का लाभ प्राप्त नहीं होगा। लाभ प्राप्त होगा बिजली का कनेक्शन लेने से। कनेक्शन कैसे प्राप्त हो सकता है? उस विधि को प्राप्त करके फिर बिजली के गुणों का लाभ प्राप्त हो सकता है। केवल बिजली की महिमा को गाने मात्र से नहीं। इसी प्रकार वेद मंत्रों में अर्थात् श्रीमद्भगवत् गीता (जो चारों वेदों का सार है) में मोक्ष प्राप्ति के लिए जो ज्ञान कहा है, उसके अनुसार आचरण करने से मोक्ष लाभ अर्थात् परमेश्वर प्राप्ति होती है।
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अवश्य सुनिए जगतगुरु तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज जी अमृत प्रवचन
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