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नवरात्रि एक हिंदू पर्व है। यह एक संस्कृत शब्द है, जिसका हिंदी में (Navratri Meaning in Hindi ) अर्थ होता है ‘नौ रातें’। इन नौ रातों और दस दिनों के दौरान, शक्ति / देवी के नौ रूपों की पूजा की जाती है। इस समय को दुर्गा के 9 रूपों की उपासना का श्रेष्ठ काल माना जाता है। ‘रात्रि’ शब्द हिन्दू धर्म के अनुसार सिद्धि का प्रतीक माना जाता है। मुनियों की यह धारणा थी रात्रि में प्रकृति के बहुत सारे अवरोध खत्म हो जाते हैं। इसीलिए उन्होंने ने रात्रि का महत्व दिन की अपेक्षा बहुत अधिक बताया है। उनकी धारणा थी कि मंदिरों में घंटे और शंख की आवाज के कंपन से दूर-दूर तक वातावरण कीटाणुओं से रहित हो जाता है।
नौ रातों के बाद दसवाँ दिन दशहरा के नाम से प्रसिद्ध है, मनाया जाता है। कई जगहों पर दशहरा मनाने के साथ साथ दुर्गा विसर्जन किया जाता है।
क्यों मनाया जाता है नवरात्र? (Why is navratri celebrated for 9 days)
आइये अब जानते है की क्यों मनाया जाता है नवरात्रि? (Why Navratri is celebrated for 9 days). शास्त्रों में नवरात्रि का त्यौहार मनाए जाने के पीछे दो कारण बताए गए हैं। पहली पौराणिक कथा के अनुसार महिषासुर नाम का एक राक्षस था जो ब्रह्मा जी का बड़ा भक्त था। उसने अपने तप से ब्रह्माजी को प्रसन्न करके एक वरदान प्राप्त कर लिया। वरदान में उसे कोई देव, दानव या पृथ्वी पर रहने वाला कोई मनुष्य मार ना पाए। वरदान प्राप्त करते ही वह बहुत निर्दयी हो गया और तीनो लोकों में आतंक माचने लगा। इस पर माँ दुर्गा और महिषासुर के बीच नौ दिनों तक भयंकर युद्ध हुआ और दसवें दिन माँ दुर्गा ने महिषासुर का वध कर दिया। इस दिन को अच्छाई पर बुराई की जीत के रूप में मनाया जाता है।
क्यों मनाया जाती है नवरात्रि? (why is Navratri celebrated for 9 days):
के पीछे एक दूसरी कथा के अनुसार, भगवान राम ने लंका पर आक्रमण करने से पहले और रावण के संग युद्ध में जीत के लिए शक्ति की देवी माँ भगवती की आराधना की थी। उनकी भक्ति से प्रसन्न होकर माँ ने श्रीराम को लंका में विजय प्राप्ति का आशीर्वाद दिया। फिर जिस दिन भगवान राम ने लंका नरेश रावण को युद्ध में हराकर उसका वध कर लंका पर विजय प्राप्त की। उस दिन को विजय दशमी के रूप में जाना जाता है।
Navratri puja vidhi 2019 | नवरात्रि में की जाने वाली उपासना, व्रत व पूजा
आइये अब आप को परिचित करवाते है Navratri puja vidhi 2019 (नवरात्रि में की जाने वाली उपासना, व्रत व पूजा) से,
नवरात्रि भारत के विभिन्न भागों में अलग-अलग ढंग और विभिन्न प्रकार की पूजा अर्चना कर मनाया जाता है। इस दौरान व्रत (vrat) भी रखे जाते हैं जिसका हमारे धर्म ग्रंथों में कहीं प्रमाण नहीं मिलता कि खुद को भूखा रखकर या कष्ट पहुंचाकर किसी की आराधना करनी चाहिए। जिसे कबीर साहिब जी ने कष्टदायक तथा मोक्ष ना पाने वाली आन उपासना बताया है।
श्री भगवतगीताअध्याय 6 के श्लोक 16 में व्रत करने के लिए मना किया गया है। यदिआपको कोई शंका है तो आप स्वंय जाकर पढ़ सकते है।
Navratri puja vidhi 2019 (नवरात्रि में की जाने वाली उपासना, व्रत व पूजा):
गुजरात में इस त्यौहार को बड़े पैमाने पर मनाया जाता है। गुजरात में नवरात्रि समारोह डांडिया और गरबा के रूप में मनाया जाता है। यह रात भर चलता है। देवी के सम्मान में भक्ति प्रदर्शन के रूप में गरबा, ‘आरती’ से पहले किया जाता है और डांडिया समारोह उसके बाद। जबकि पश्चिम बंगाल के राज्य में इस दौरान दुर्गा पूजन का प्रचलन है। नौवा दिन नवरात्रि समारोह का अंतिम दिन है। यह महानवमी के नाम से भी जाना जाता है। उन नौ लड़कियों/ कंजक को देवी दुर्गा के नौ रूपों का प्रतीक माना जाता है। उनका पैर धोकर सम्मान अथवा स्वागत किया जाता है।
पूर्ण परमात्मा तथा हमारे धर्म ग्रंथो के अनुसार केवल पूर्ण सतगुरु ही आशीर्वाद देने का अधिकारी होता है। अन्य किसी से आशीर्वाद लेना नरक का भागी बनाता है।
Navratri 2019 start date and end date (कब से नवरात्रि शुरू हो जाते हैं और कब तक मनाए जाते हैं?)
अब आप को Navratri 2019 start date and end date (कब से नवरात्र शुरू हो जाते हैं और कब तक मनाए जाते हैं?) से परिचित करवाते है।
यहां निचे आप के साथ हमने 9 days of navratri 2019 in hindi (नवरात्रि के नौ दिनों) की जानकारी साझा की है।
29 सितंबर, प्रतिपदा – बैठकी या नवरात्रि का पहला दिन- घट/ कलश स्थापना – शैलपुत्री। इसका अर्थ- पहाड़ों की पुत्री होता है।
30 सितंबर, द्वितीया – नवरात्रि 2 दिन तृतीय- ब्रह्मचारिणी पूजा इसका अर्थ- ब्रह्मचारीणी।
1 अक्टूबर, तृतीया – नवरात्रि का तीसरा दिन- चंद्रघंटा पूजा. इसका अर्थ- चाँद की तरह चमकने वाली।
2 अक्टूबर, चतुर्थी – नवरात्रि का चौथा दिन- कुष्मांडा पूजा इसका अर्थ- पूरा जगत उनके पैर में है।
3 अक्टूबर, पंचमी – नवरात्रि का 5वां दिन- सरस्वती पूजा, स्कंदमाता पूजा.
4 अक्टूबर, षष्ठी – नवरात्रि का छठा दिन- कात्यायनी पूजा.
5 अक्टूबर, सप्तमी – नवरात्रि का सातवां दिन- कालरात्रि, सरस्वती पूजा.
6 अक्टूबर, अष्टमी – नवरात्रि का आठवां दिन-महागौरी, दुर्गा अष्टमी, नवमी पूजन.
7 अक्टूबर, नवमी – नवरात्रि का नौवां दिन- नवमी हवन, नवरात्रि पारण.
8 अक्टूबर, दशमी – दुर्गा विसर्जन, विजयादशमी.
Navratri 2019 Special: पूर्ण परमात्मा एक या अनेक?
इस Navratri 2019 Special पर हम जटिल प्रश्न “पूर्ण परमात्मा एक या अनेक?” का उत्तर प्रमाण सहित बताएंगे।
सभी सदग्रंथो में प्रमाणित है कि पूर्ण परमात्मा अनेक ना होकर एक ही है और वह हर युग में सबके मोक्ष हेतु धरती पर अवतरित होते हैं और होते रहे हैं। वह पूर्ण परमात्मा कबीर साहेब जी हैं।
संख्या नं. 1400 सामवेद उतार्चिक अध्याय नं. 12 खण्ड नं. 3 श्लोक नं. 5: भद्रा वस्त्रा समन्या3 वसानो महान् कविर्निवचनानि शंसन्। आ वच्यस्व चम्वोः पूयमानो विचक्षणो जागृविर्देववीतौ।।5।। भद्रा वस्त्रा समन्या वसानः महान् कविर् निवचनानि शंसन् आवच्यस्व चम्वोः पूयमानः विचक्षणः जागृविः देव वीतौ।।
अनुवाद :- (सम् अन्या) अपने शरीर जैसा अन्य (भद्रा वस्त्रा) सुन्दर चोला यानि शरीर (वसानः) धारण करके (महान् कविर्) समर्थ कविर्देव यानि कबीर परमेश्वर (निवचनानि शंसन्) अपने मुख कमल से वाणी बोलकर यथार्थ अध्यात्म ज्ञान बताता है, यथार्थ वर्णन करता है। जिस कारण से (देव) परमेश्वर की (वितौ) भक्ति के लाभ को (जागृविः) जागृत यानि प्रकाशित करता है। (विचक्षणः) कथित विद्वान सत्य साधना के स्थान पर (आ वच्यस्व) अपने वचनों से (पूयमानः) आन-उपासना रूपी मवाद (चम्वोः) आचमन करा रखा होता है यानि गलत ज्ञान बता रखा होता है।
भावार्थ :- जैसे यजुर्वेद अध्याय 5 मंत्र एक में कहा है कि ‘अग्नेः तनुः असि = परमेश्वर सशरीर है। विष्णवे त्वा सोमस्य तनुः असि = उस अमर प्रभु का पालन पोषण करने के लिए अन्य शरीर है जो अतिथि रूप में कुछ दिन संसार में आता है। तत्त्व ज्ञान से अज्ञान निंद्रा में सोए प्रभु प्रेमियों को जगाता है। वही प्रमाण इस मंत्र में है कि कुछ समय के लिए पूर्ण परमात्मा कविर्देव अर्थात् कबीर प्रभु अपना रूप बदलकर सामान्य व्यक्ति जैसा रूप बनाकर पृथ्वी मण्डल पर प्रकट होता है तथा कविर्निवचनानि शंसन् अर्थात् कविर्वाणी बोलता है। जिसके माध्यम से तत्त्वज्ञान को जगाता है तथा उस समय महर्षि कहलाने वाले चतुर प्राणी मिथ्याज्ञान के आधार पर शास्त्र विधि अनुसार सत्य साधना रूपी अमृत के स्थान पर शास्त्र विधि रहित पूजा रूपी मवाद को श्रद्धा के साथ आचमन अर्थात् पूजा करा रहे होते हैं। उस समय पूर्ण परमात्मा स्वयं प्रकट होकर तत्त्वज्ञान द्वारा शास्त्र विधि अनुसार साधना का ज्ञान प्रदान करता है।
Navratri 2019 पर जानिए क्या Maa Durga दुर्गा/शक्ति अविनाशी परमात्मा है?
अब हम Navratri 2019 के अवसर पर सबसे जटिल प्रश्न क्या Maa Durga दुर्गा/शक्ति अविनाशी परमात्मा है? पर प्रकाश डालते है।
पवित्र श्रीमद् देवी महापुराण तीसरा स्कन्द अध्याय3(गीताप्रैस गोरखपुर से प्रकाशित, अनुवादकर्ता श्री हनुमानप्रसाद पोद्दार तथा चिमन लाल गोस्वामी जी,तीसरा स्कंद पृष्ठ नं. 123 पर श्री विष्णु जी ने श्री दुर्गा जी की स्तुति करते हुए कहा –
तुम शुद्ध स्वरूपा हो, यह सारा संसार तुम्हीं से उद्भासित हो रहा है, मैं (विष्णु), ब्रह्मा और शंकर हम सभी तुम्हारी कृपा से ही विद्यमान हैं। हमारा आविर्भाव (जन्म) और तिरोभाव (मृत्यु) हुआ करता है अर्थात् हम तीनों देव नाशवान हैं। भगवान शंकर बोले – देवी यदि महाभाग विष्णु तुम्हीं से प्रकट (उत्पन्न) हुए हैं तो उनके बाद उत्पन्न होने वाले ब्रह्मा भी तुम्हारे ही बालक हुए। फिर मैं तमोगुणी लीला करने वाला शंकर क्या तुम्हारी संतान नहीं हुआ अर्थात् मुझे भी उत्पन्न करने वाली तुम्हीं हो।
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विचार करें:- उपरोक्त विवरण से सिद्ध हुआ कि श्री ब्रह्मा जी, श्री विष्णु जी, श्री शिव जी नाशवान हैं। मृत्युंजय (अजर-अमर) व सर्वेश्वर नहीं हैं तथा दुर्गा (प्रकृति) के पुत्र हैं तथा ब्रह्म (काल-सदाशिव) इनका पिता है।
इसी का प्रमाण पवित्र गीता जी अध्याय 14 श्लोक 3 से 5 तक है। ब्रह्म (काल) कह रहा है कि प्रकृति (दुर्गा) तो मेरी पत्नी है, मैं ब्रह्म (काल) इसका पति हूँ। हम दोनों के संयोग से सर्व प्राणियों सहित तीनों गुणों (रजगुण – ब्रह्मा जी, सतगुण – विष्णु जी, तमगुण – शिवजी) की उत्पत्ति हुई है। मैं (ब्रह्म) सर्व प्राणियों का पिता हूँ तथा प्रकृति (दुर्गा) इनकी माता है। मैं इसके उदर में बीज स्थापना करता हूँ जिससे सर्व प्राणियों की उत्पत्ति होती है। प्रकृति (दुर्गा) से उत्पन्न तीनों गुण (रजगुण ब्रह्मा, सतगुण विष्णु तथा तमगुण शिव) जीव को कर्म आधार से शरीर में बांधते हैं।
क्या Navratri या किसी भी अवसर व त्यौहार पर व्रत (vrat) और अन्य उपासना गीता जी के अनुसार सही है या गलत?
Navratri 2019 पर प्रमाण सहित जानते है की vrat (व्रत) करना कितना सही है।
गीता अध्याय 4 श्लोक 40 के अनुसार विवेकहीन, श्रद्धाहीन और संशययुक्त मनुष्य कभी भी भ्रमित होकर विनाश को प्राप्त हो जाएगा अर्थात् जिसको पूर्ण ज्ञान नहीं होता, वह किसी के द्वारा भ्रमित होकर सत्य साधना त्यागकर शास्त्रविरुद्ध साधना करके अपना अनमोल मानुष जन्म नष्ट कर जाएगा। संशययुक्त आत्मा को न तो इस लोक में सुख है, न परलोक में क्योंकि शास्त्रानुकूल साधना से सुख होता है, उससे संसार में भी सुख मिलता है तथा मृत्यु उपरान्त सत्यलोक में भी सुखी होता है।
सूक्ष्मवेद में कहा है :- कबीर, ज्ञान सम्पूर्ण हुआ, नहीं हृदय नहीं छिदाया। देखा देखी भक्ति का रंग नहीं ठहराया।।
कबीर, मां मूडूं उस सन्त की, जिससे संशय न जाय। काल खावें थोड़े संशय सबहन कूं खाय।
भावार्थ :- जिसने तत्वज्ञान से संशयों को नाश कर दिया है। उस आत्मज्ञानी को कर्म नहीं बाँधते। इसलिए अपने हृदय में अज्ञानजनित इस संशय को तत्त्वज्ञान रुपी तलवार से काटकर (योगम्) भक्ति साधना में (उत्तिष्ठ) खड़ा होना अर्थात् जाग जा (आतिष्ठ) और इस भक्ति में स्थित हो जा।
उपरोक्त प्रमाणों से सिद्ध हुआ कि जब तक पूर्ण सन्त (सतगुरु) नहीं मिलता, तब तक साधक का कल्याण सम्भव नहीं है।
वाणी :- तीर्थ व्रत अरू सब पूजा। गुरु बिन दाता और न दूजा।। नौ नाथ चौरासी सिद्धा। गुरु के चरण सेवे गोविन्दा।।
सरलार्थ :- चाहे कोई तीर्थ भ्रमण करता है, चाहे व्रत करता है, चाहे स्वयं या नकली गुरुओं से दीक्षा लेकर पूजा भी करता है, वह भक्ति कर्म कोई लाभ नहीं देता। गुरु (जो तत्त्वदर्शी है) जो सत्य साधना देते हैं जिससे इस लोक में तथा परलोक में सर्व सुख प्राप्त होता है। इसलिए कहा है कि गुरु के समान दाता (सुख व मोक्ष दाता) नहीं है। तीर्थ, व्रत तथा नकली गुरुओं द्वारा बताई भक्ति सुखदाई नहीं है।
Navratri 2019: पूर्ण गुरु के क्या लक्षण ?
Navratri 2019 पर जानिए वेदो में पूर्ण संत की क्या पहचान है?: पवित्रा ऋग्वेद के निम्न मंत्रों में भी पहचान बताई है कि जब वह पूर्ण परमात्मा कुछ समय संसार में लीला करने आता है तो शिशु रूप धारण करता है। उस पूर्ण परमात्मा की परवरिश (अध्न्य धेनवः) कंवारी गाय द्वारा होती है। फिर लीलावत् बड़ा होता है तो अपने पाने व सतलोक जाने अर्थात् पूर्ण मोक्ष मार्ग का तत्त्वज्ञान (कविर्गिभिः) कबीर वाणी द्वारा कविताओं द्वारा बोलता है, जिस कारण से प्रसिद्ध कवि कहलाता है, परन्तु वह स्वयं कविर्देव पूर्ण परमात्मा ही होता है जो तीसरे मुक्ति धाम सतलोक में रहता है।
ऋग्वेद मण्डल 9 सूक्त 1 मंत्र 9 तथा सूक्त 96 मंत्र 17 से 20 :- ऋग्वेद मण्डल 9 सूक्त 1 मंत्र 9
अभी इमं अध्न्या उत श्रीणन्ति धेनवः शिशुम्। सोममिन्द्राय पातवे।।9।।
अभी इमम्-अध्न्या उत श्रीणन्ति धेनवः शिशुम् सोमम् इन्द्राय पातवे।
अनुवाद : -(उत) विशेष कर (इमम्) इस (शिशुम्) बालक रूप में प्रकट (सोमम्) पूर्ण परमात्मा अमर प्रभु की (इन्द्राय) सुख सुविधाओं द्वारा अर्थात् खाने-पीने द्वारा जो शरीर वृद्धि को प्राप्त होता है उसे (पातवे) वृद्धि के लिए (अभी) पूर्ण तरह (अध्न्या धेनवः) जो गाय, सांड द्वारा कभी भी परेशान न की गई हो अर्थात् कंवारी गाय द्वारा (श्रीणन्ति) परवरिश की जाती है।
भावार्थ – पूर्ण परमात्मा अमर पुरुष जब लीला करता हुआ बालक रूप धारण करके स्वयं प्रकट होता है उस समय कंवारी गाय अपने आप दूध देती है जिससे उस पूर्ण प्रभु की परवरिश होती है।
Navratri 2019 भगवत गीता अनुसार पूर्ण संत की क्या पहचान है?: गीता अध्याय 4 श्लोक 34 में वर्णित तत्वदर्शी संत ही पूर्ण परमात्मा के तत्वज्ञान को सही बताता है, उन्हीं से पूछो, मैं (गीता बोलने वाला प्रभु) नहीं जानता। इसी का प्रमाण गीता अध्याय 15 श्लोक 1 से 4 तक तथा 16.17 तक भी है।
अध्याय 17 के श्लोक 23 से 28 तक में कहा है कि पूर्ण परमात्मा के पाने के ऊँ, तत्, सत् यह तीन नाम हैं। तत्वज्ञान के अभाव से स्वयं निष्कर्ष निकाल कर शास्त्राविधि सहित साधना करने वाले ब्रह्म तक की साधना में प्रयोग मन्त्रों के साथ ‘ऊँ‘ मन्त्र लगाते हैं। जैसे ‘ऊँ भागवते वासुदेवाय नमः‘, ‘ऊँ नमो शिवायः‘ आदि-2। यह जाप (काल-ब्रह्म यानि क्षर पुरूष तक व उनके आश्रित तीनों ब्रह्मा जी, विष्णु जी, शंकर जी से लाभ लेने के लिए) स्वर्ग प्राप्ति तक का है। फिर भी शास्त्र विधि रहित होने से उपरोक्त मंत्र व्यर्थ हैं, बेशक इन मंत्रों से कुछ लाभ भी प्राप्त हो।
निष्कर्ष: हमने आप को इस ब्लॉग में Navratri 2019 Puja in Hindi, Navratri Meaning in Hindi, क्यों मनाया जाता है नवरात्र? (Why Navratri is celebrated for 9 days), Navratri puja vidhi 2019, Navratri 2019 start date and end date, 9 days of Navratri 2019 in Hindi, Navratri 2019 Special: पूर्ण परमात्मा एक या अनेक?, Navratri 2019: पूर्ण गुरु के क्या लक्षण है? से परिचित करवाया। इस ब्लॉग का निर्ष्कष की नवरात्रि एक शास्त्र विरुद्ध साधना है तथा नवरात्रि पर व्रत करने से कोई लाभ नहीं है। वर्तमान में संत रामपाल जी महाराज जी सच्ची और मोक्षदायक भक्ति प्रदान करते हैं। वह ही पूर्ण अधिकारी हैं क्योंकि वह सदग्रंथो में प्रमाणित भक्ति देते हैं। नवरात्र में जितनी भी पूजा अर्चना या मंत्र उच्चारण किए जाते हैं, गीता जी या अन्य किसी धर्म ग्रंथ में कहीं भी उनका विवरण नहीं है। जो भक्ति साधना संत रामपाल जी महाराज बताते है, उसी से मोक्ष संभव है।
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