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Showing posts from July, 2020

Bhagavad Gita Quotes

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        Bhagavad Gita Quotes 🍃🌱God Kabir, while introducing the real position of the three gods Brahma, Vishnu and Mahesh, said: Straws are thread, all three gods, the living creatures are doing service. 🍃🌱 👉Watch Sadhna TV at 7:30pm. 3.41 Therefore, O Arjuna, best of the Bhäratas, in the very beginning curb this great symbol of sin [lust] by regulating the senses, and slay this destroyer of knowledge and self-realization. Bhagavad Gita  Gita 7:25 whose knowledge has been stolen away by the bhakti of 3 gods, those with demoniac nature, the lowest among men, who perform evil acts of bhakti which are opposite to the injunctions of the scriptures, fools, do not even worship me. - Saint Rampal Ji   Bhagavad Gita Quotes  Bhagavad Gita Quotes 🍃🌱God Kabir, while introducing the real position of the three gods Brahma, Vishnu and Mahesh, said: Straws are thread, all three gods, the living creatures are doing service. 🍃🌱 👉Watch Sadh

#GodKabir_OceanOfHappiness

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           #GodKabir_OceanOfHappiness           Supreme god Kabir is the destroyer of sins.  Without a true spiritual master, sins cannot be erased. One should take refuge in true spiritual master Saint Rampal Ji Maharaj and worship(pray to) the Almighty. True Way of Worship True way of worship is available with Saint Rampal Ji Maharaj only. Salvation can only be attained by taking His refuge.                     Supreme God Kabir Supreme god Kabir is the destroyer of sins.  Without a true spiritual master, sins cannot be erased. One should take refuge in true spiritual master Saint Rampal Ji Maharaj and worship(pray to) the Almighty. You join us to visit:- www.jagatgururampalji.org

Who is God ? प्रणाम यज्ञ

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Who is God ? प्रणाम यज्ञ #यथार्थ_भक्ति_बोध_Part5 के आगे पढ़ें   📖📖📖 #यथार्थ_भक्ति_बोध_Part6  4- ‘‘प्रणाम यज्ञ’’ भक्ति व साधना उसी साधक की सफल होती है जिसमें नम्रता (आधीनी) होती है, दास भाव होता है। गरीब, आधीनी के पास है पूर्ण ब्रह्म दयाल। मान बड़ाई मारिए बे अदबी सिरकाल।। दासा तन में दर्श है सब का होजा दास। हनुमान का हेत ले रामचन्द्र के पास।। विभीषण का भाग बड़ेरा, दास भाव आया तिस नेड़ा।। दास भाव आया बिसवे बीसा, जाकूं लंक देई बकशीशा।। दास भाव बिन रावण रोया, लंक गंवाई कुल बिगोया।। भक्ति करी किया अभिमाना, रावण समूल गया जग जाना।। ऐसा दास भाव है भाई। लंक बखसते बार ना लाई।। तातें दास भाव कर भक्ति कीजै, सबही लाभ प्राप्त कीजै।। गरीब बेअदबी भावै नहीं साहब के तांही, अजाजील की बन्दगी पल मांहे बहाई।।  उपरोक्त अमृतवाणी सूक्ष्मवेद की है। इनका भावार्थ है कि भक्त में विनम्रता होनी चाहिए। जिस कारण से भक्त की भक्ति सफल होती है। यदि भक्त साधना भी करता है और अहंकार भी रखता है तो उसकी साधना व्यर्थ हो जाती है। उदाहरण दिए हैं कि:-  🌿 हनुमान

Supreme God is Kabir Saheb

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Supreme God is Kabir Saheb #यथार्थ_भक्ति_बोध_Part4  के आगे पढ़ें 📖📖📖 #यथार्थ_भक्ति_बोध_Part5 2- गाँव दिनौद जिला भिवानी में श्री ताराचन्द जी द्वारा चलाया गया। ये सब 20वीं शताब्दी में पनपे हैं। लगभग पूरे भारत वर्ष में फैल चुके हैं। इनके अतिरिक्त निरंकारी पंथ, ब्रह्मा कुमारी पंथ, हंसा देश पंथ (1- सन्त श्री सतपाल जी, 2- संत श्री प्रेम रावत उर्फ बालयोगेश्वर का पंथ) ये भी उपरोक्त पंथों की तरह भारत वर्ष के साथ-साथ अन्य देशों में भी फैल चुके हैं। उपरोक्त पंथों ने सत्य भक्ति अर्थात् शास्त्रोक्त साधना का नामोनिशान मिटा दिया है। इन पंथों ने ज्योति यज्ञ (हवन यज्ञ) को मना कर रखा है। कहते हैं कि बाहर की ज्योति से मोक्ष नहीं है। शरीर के अन्दर की ज्योति को जगाना है। राधास्वामी पंथ व इसकी शाखाओं का मानना है कि वेद तथा गीता को हम नहीं मानते। हम तो संतों की वाणी को सत्य मानते हैं। वेद व गीता भी तो ऋषियों ने लिखे हैं। उन ऋषियों को ऊपर के मण्डलों का ज्ञान नहीं था। इसलिए वेदों तथा गीता में ऊपर के मण्डलों का ज्ञान नहीं है। हमारी भक्ति साधना तो त्रिकुटी स्थान से प्रारम्भ होती है। हमारे सन्त श्

ईश्वर पर विश्वास

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                      ईश्वर पर विश्वास          जाड़े का दिन था और शाम होने को आई। आसमान में बादल छाए थे। एक नीम के पेड़ पर बहुत से कौए बैठे थे। वे सब बार-बार कांव-कांव कर रहे थे और एक-दूसरे से झगड़ भी रहे थे।        इसी समय एक मैना आई और उसी पेड़ की एक डाल पर बैठ गई। मैना को देखते हुए कई कौए उस पर टूट पड़े। बेचारी मैना ने कहा- “बादल बहुत हैं इसीलिए आज अंधेरा हो गया है। मैं अपना घोंसला भूल गई हूँ। इसीलिए आज रात मुझे यहां बैठने दो।         “ कौओं ने कहा- “नहीं यह पेड़ हमारा है तू यहां से भाग जा।“ मैना बोली- “पेड़ तो सब ईश्वर के बनाए हुए हैं। इस सर्दी में यदि वर्षा पड़ी और ओले पड़े तो ईश्वर ही हमें बचा सकते हैं। मैं बहुत छोटी हूँ, तुम्हारी बहन हूँ, तुम लोग मुझ पर दया करो और मुझे भी यहां बैठने दो।“       कौओं ने कहा- “हमें तेरी जैसी बहन नहीं चाहिए। तू बहुत ईश्वर का नाम लेती है तो ईश्वर के भरोसे यहां से चली क्यों नहीं जाती। तू नहीं जाएगी तो हम सब तुझे मारेंगे।“ कौओं को कांव-कांव करके अपनी ओर झपटते देखकर बेचारी मैना वहां से उड़ गई और थोड़ी दूर जाकर एक आम के पेड़ पर बैठ गई।  

यथार्थ भक्ति बोध Part4

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यथार्थ भक्ति बोध Part4    📖📖📖 यथार्थ भक्त बोध Part3 के आगे पढ़ें यदि नटनी का ध्यान जरा-सा भी बाँस से हट जाए तो धड़ाम से पृथ्वी पर बाँस सहित गिरे। अपने कौतुक में सफलता प्राप्त नहीं कर पाएगी। खेल देखने वाले लोग तालियाँ बजा रहे होते हैं, फिर भी नटनी  इनके शोर को नहीं सुनती। उसका ध्यान केवल बाँस पर ही रहता है। इसी प्रकार परमात्मा के गुणों का चिन्तन ध्यान यज्ञ कहलाता है। यह वास्तविक ‘‘ध्यान यज्ञ’’ है। परमात्मा के गुण:- कबीर पौ फाटी पगड़ा भया, जागी जीया जून। सब काहु कूं देत हैं, प्रभु चौंच समाना चून।। मर्द गर्द में मिल गए, रावण से रणधीर। कंश केशो चाणूर से, हिरणाकुश बलबीर।। तेरी क्या बुनियाद है, जीव जन्म धर लेत। गरीब दास हरि नाम बिना, खाली रह जा खेत।। कबीर, साहिब से सब होत है, बन्दे से कुछ नाहीं। राई से पर्वत करें, पर्वत से फिर राई।। कबीर हरि के नाम बिना, नारि कुतिया होय। गली-गली भौंकत फिरे, टूक ना डाले कोय।।  परमात्मा सर्व सुख दाता है। सर्व संकट मोचनहार है। निर्धन को धन, बांझ को पुत्र, कोढ़ी को सुन्दर काया, अन्धे को आँख, बहरे को कान, गूंगे को जुबान परमात्मा प्रदान

Raksha Bandhan

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Raksha Bandhan This Raksha Bandhan tell your sister, who is the actual protector of all beings. On This Raksha Bandhan Supreme God Kabir Saheb Promise your sister that you will ne jiver take recreational drugs or intoxicants. Saint Rampal Ji Maharaj Celebrate Raksha Bandhan With God This Raksha Bandhan, we should learn who we should think of as Rakshak. Almighty Lord Kabir is the only one who can protect us from all the evils in the world. Saint Rampal Ji Maharaj This Raksha Bandhan Let us know the real importance of protection that we always need. When we think of God as our only savior. He can save us from everything. https://youtu.be/bKA_C-ZgDV4 ONLINE NAAM DIKSHA http://bit.ly/NamDiksha KNOW MORE VISIT:- https://www.jagatgururampalji.org/en/publications

परमात्मा का अपमान

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       परमात्मा का अपमान          जिसे गायत्री मन्त्र कहते हो, वह यजुर्वेद के अध्याय 36 का मन्त्र 3 है जिसके आगे ‘‘ओम्‘‘ अक्षर नहीं है। यदि ‘‘ओम्’‘ अक्षर को इस वेद मन्त्र के साथ जोड़ा जाता है तो परमात्मा का अपमान है क्योंकि ओम् (ऊँ) अक्षर तो ब्रह्म का जाप है। यजुर्वेद अध्याय 36 मन्त्र 3 में परम अक्षर ब्रह्म की महिमा है। यदि कोई अज्ञानी व्यक्ति पत्र तो लिख रहा है प्रधानमन्त्री को और लिख रहा है सेवा में ‘मुख्यमन्त्री जी’ तो वह प्रधानमन्त्री का अपमान कर रहा है। फिर बात रही इस मन्त्र यजुर्वेद के अध्याय 36 मन्त्र 3 को बार-बार जाप करने की, यह क्रिया मोक्षदायक नहीं है। मन्त्र का मूल पाठ इस प्रकार है :- भूर्भवः स्वः तत् सवितु वरेणीयम् भृगो देवस्य धीमहि धीयो योनः प्रयोदयात्। अनुवाद :- (भूः) स्वयंभू परमात्मा पृथ्वी लोक को (भवः) गोलोक आदि भवनों को वचन से प्रकट करने वाला है (स्वः) स्वर्गलोक आदि सुख धाम हैं। (तत्) वह (सवितुः) उन सर्व का जनक परमात्मा है। (वरेणीयम) सर्व साधकों को वरण करने योग्य अर्थात् अच्छी आत्माओं के भक्ति योग्य है। (भृगो) तेजोमय अर्थात् प्रकाशमान (देवस्य) परमात्मा

यथार्थ भक्ति बोध Part3

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#यथार्थ_भक्ति_बोध_Part2 के आगे पढ़ें  📖📖📖 #यथार्थ_भक्ति_बोध_Part3 📚प्रश्न उठता है कि वे ऋषि जन तो वेदों के पूर्व विद्वान थे। उन्होंने यह गलती क्यों की?  उत्तर है:- श्री देवीपुराण (गीता प्रेस गोरखपुर से प्रकाशित केवल हिन्दी, सचित्र मोटा टाईप) में चौथे स्कंद पृष्ठ 414 पर लिखा है कि ‘‘सत्य युग’ के ब्राह्मण वेद के पूर्ण विद्वान थे और देवी आराधना किया करते थे। प्रिय पाठको! यह उल्लेख देवी पुराण का है। आप जी को बता दें कि ‘‘गीता शास्त्र चारों वेदों का सारांश है। आप जी गीता को तो आसानी से पढ़ तथा जाँच सकते हो। गीता में कहीं पर भी श्री देवी की पूजा करने का आदेश नहीं है। इससे सिद्ध हुआ कि चारों वेदों में भी श्री देवी (दुर्गा जी) की पूजा का विधान नहीं है। इससे यह भी सिद्ध हुआ कि सत्ययुग के ब्राह्मण (ऋषि) वेद के विद्वान नहीं थे। फिर त्रेतायुग, द्वापर युग तथा कलयुग के ऋषियों ब्राह्मणों का क्या कहना इनका ज्ञान तो सत्ययुग के ब्राह्मणों से न्यून ही है। इसी प्रकरण में पृष्ठ 414 पर श्री देवी पुराण में यह भी स्पष्ट किया है कि ‘‘सत्य युग में जो राक्षस माने जाते थे, कलयुग में ब्राह्मण उन राक्

यथार्थ भक्ति बोध Part2

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#यथार्थ_भक्ति_बोध_Part1 के आगे पढ़ें  📖📖📖 #यथार्थ_भक्ति_बोध_Part2 (क) पाठ: सद्ग्रन्थों का स्वाध्याय पाठ कहलाता है। जैसे श्री मद्भगवत गीता के श्लोकों को प्रतिदिन पढ़ना। कुछ भक्त कहते हैं कि हम प्रतिदिन गीता के एक अध्याय का पाठ करते है। कुछ भक्त (साधक) वेद मन्त्रों का नित्य पाठ करते हैं। कुछ भक्त किसी सन्त की अमृतवाणी से कुछ पाठ या शब्दों का नित्य पठन-पाठन करते हैं।  मुसलमान भक्त कुरान शरीफ से कुछ वाणी (आयतें) पढ़ते हैं या पाँच समय निमाज (प्रभु स्तुति) करते हैं। यह सब पाठ कहलाता है। किसी ग्रन्थ का अखण्ड पाठ करना या वैसे आदर से किसी समय ग्रन्थ को पढ़ना, वेदों या गीता को पढ़ना यह सब भी पाठ साधना ही कहलाती है। ज्ञान ग्रहण के उद्देश्य से ग्रन्थों को पढ़ना भी पाठ साधना ही कही जाती है। इसे ज्ञान यज्ञ भी कहा जाता है। यज्ञ: यज्ञ का अर्थ है धार्मिक अनुष्ठान। मुख्यतः यज्ञ पाँच हैं: 1- धर्म यज्ञ 2- ध्यान यज्ञ 3- हवन यज्ञ 4- प्रणाम यज्ञ 5- ज्ञान यज्ञ। 1- धर्म यज्ञ:  धर्म यज्ञ कई प्रकार से की जाती है। जैसे भूखे को भोजन कराना, पक्षियों को दाना-पानी डालना, पशुओं के लिए पीने के पानी की व्

यथार्थ भक्ति बोध Part1

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#यथार्थ_भक्ति_बोध_Part1 भूमिका:- "परमात्मा से सब होत है, बन्दे से कुछ नाहीं। राई से पर्वत करें, पर्वत से फिर राई।। रामनाम की लूट है, लूटि जा तो लूट। पीछे फिर पछताएगा, प्राण जाहिंगे छूट।। भक्ति बिना क्या होत है, भ्रम रहा संसार। रति कंचन पाया नहीं, रावण चलती बार।। कबीर, सब जग निर्धना, धनवन्ता ना कोए। धनवन्ता सोई जानिए, जा पै राम नाम धन होय।।"  ‘‘भक्ति बोध’’ नामक पुस्तिका के अन्दर परमेश्वर कबीर जी की अमृतवाणी तथा परमेश्वर कबीर जी से ही प्राप्त तत्वज्ञान सन्त गरीबदास जी की अमृतवाणी है। जिस वाणी का पाठ प्रतिदिन नियमित करना होता है। जिस कारण से इसको ‘‘नित्य-नियम’’ पुस्तिका भी कहा जाता है। इस पुस्तक में लिखी अमृत वाणी का पाठ उपदेशी को तीन समय करना पड़ता है।  सुबह पढ़ी जाने वाली अमृतवाणी को (1) ‘सुबह का नित्य नियम‘ कहते हैं। यह रात्रि के 12 बजे से दिन के 12 बजे तक कर सकते हैं। वैसे इसको सुबह सूर्योदय के समय कर लें।  (2) ‘असुर निकंदन रमैणी‘ दिन के 12 बजे के बाद रात्रि के 12 बजे से पहले (जब भी समय लगे) किया जाने वाला पाठ है। वैसे इस पाठ को दिन के 12 बजे से

काल जाल को समझ गए तो मुक्ति का मार्ग खुल जायेगा!

काल जाल को समझ गए तो मिक्ति का मार्ग खुल जायेगा! प्रश्न :- काल कौन है ? उत्तर :- काल इस दुनियाँ का राजा है, उसका ॐ मंत्र है, वह दुर्गाजी का पति है और ब्रह्मा विष्णु शिव का पिता है ! प्रश्न :- काल के पास कितने ब्रह्मांड है और उसका नाम काल क्यों है ? उत्तर :- 21 ब्रह्मांड का मालिक है काल और वह सबकी मृत्यु करता है इसलिए उसका नाम काल है !! प्रश्न :- वह क्यों मृत्यु करता है लोगों की और 84 लाख योनियाँ किसने और क्यों बनाई ? उत्तर :- काल को श्राप लगा हुआ है रोज एक लाख मनुष्य की आत्मा का मैल खाना है, मनुष्य ही उसका भोजन है इसलिए वह मृत्यु करता है और कोई मुक्त न हो जाये इसलिए आत्मा को 84 लाख योनियों में कैद करके कर्मानुसार सज़ा भी देता है !! प्रश्न :- मरने के बाद इंसान का क्या होता है ? उत्तर :- मरने के बाद इंसान की आत्मा को काल गर्म तवे पर डालता है और जिंदगी भर का खाया पिया जो आत्मा से लिपटा चिपटा रहता है उस गन्दगी को निकाल के खाता है, आत्मा को असहनीय पीड़ा होती पर इसको कोई परवाह नहीं जैसे कसाई बकरे पालता है वैसे इंसान को काल पालता है !! प्रश्न :- क्या काल अपने पुत्र

Who is God ?

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                             Who is God ?            Kabir is Supreme God A human being in the present life should take initiation from a Complete Saint and worship the true God Kabir. Otherwise he/she will have to suffer in the lives of animals. Take initiation from Complete Saint Rampal Ji Maharaj and save your soul.           Jesus is son of Suprem God Kabir Jesus said he was son of God. All holy scriptures prove that Supreme God Kabir is the father of all souls. He is the creator of all. Complete salvation is only possible after obtaining scripture based  way of worship from a complete Guru. True way of worship is available with Saint Rampal Ji Maharaj only. Must take refuge in Him.                   Saint Rampal Ji Is True saint  Prediction of woman astrologer from America, "Jean Dixon" about Saint Rampal Ji Maharaj After the ideological war, a new civilisation based on spiritualism would probably originate under t

Who Is True Guru ?

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    Who is Ture Guru    Jagat Guru Saint Rampal Ji Maharaj Satguru creates a clean society with his true knowledge. A hypocritical, drug-free, dowry-free, corruption-free society is being prepared under the leadership of Sant Rampal Ji Maharaj. Saint Rampal Ji Maharaj is True Guru. The complete saint will preach three types of mantras in three times, which is described in the Kabir Sagar Granth page 265 at Bodh Sagar. & also found in Chapter 17 verse 23 of Geeta and Samveda number 822. At present Saint Rampal Ji Maharaj is the only saint who preaches three types of mantras in three times. Who is Supreme God?                 Kabir is Supreme God. God Kabir descends to bring peace to the earth. He appears in the form of an infant and gives true spiritual knowledge to the world. More visit..👇👇👇👇👇 www.jagatgururampalji.org